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उठा के कलम लिखूं तो क्या

उठा के कलम लिखूं तो क्या।

हर लफ्ज़ तेरे नाम सा लगता है।।

 

दिन भर ही तेरी यादो में खोये रहना।

एक जरुरी काम सा लगता है।।

Yaarji yaar ji

 

खो ना जाऊँ मदहोश होकर यारजी।

हर रंग उसका सुहानी शाम सा लगता है।।

 

बड़ी अजीब नोकरी कर ली तुझसे मोहब्बत की।

मुझे आराम हराम सा लगता है।।

 

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