अब के यूँ मिला मुझसे वो।
कुछ कहना था जैसे उन आँखों को।
अब के उस चेहरे पर उदासी थी।
कुछ खो दिया हो जैसे।
शर्मिंदा थी बेवफाई पर।
नज़रे झुक जाती थी मेरे आगे।।
अब के कुछ गुमसुम सी थी।
मलाल बाकी था किसी बात का जैसे।
झिझक थी बात करने में थोड़ी।
कुछ सोच में थी जैसे।
क्या बोलू, कैसे बोलूं , कब बोलू, कहा बोलूं।
कशमकश में थी जैसे।।
फिर एक खत आया ।
पूछा था उसने।
क्या सोचते हो अब भी मेरे बारे में।
जवाब में यारजी लिख दिया हमने।
बेवफा से लगते हो तुम।
बेवफा से दिखते हो तुम।
पहले की बात और थी।
जब हर जगह दिखते थे तुम।
अब वो प्यार बाकी नही
अब इंतज़ार बाकी नही।
मेरे दिल में तेरे लिए।
अब वो प्यार बाकी नही।
वो प्यार बाकी नही।
नज़रे झुक जाती थी मेरे आगे।।
अब के कुछ गुमसुम सी थी।
मलाल बाकी था किसी बात का जैसे।
झिझक थी बात करने में थोड़ी।
कुछ सोच में थी जैसे।
क्या बोलू, कैसे बोलूं , कब बोलू, कहा बोलूं।
कशमकश में थी जैसे।।
फिर एक खत आया ।
पूछा था उसने।
क्या सोचते हो अब भी मेरे बारे में।
जवाब में यारजी लिख दिया हमने।
बेवफा से लगते हो तुम।
बेवफा से दिखते हो तुम।
पहले की बात और थी।
जब हर जगह दिखते थे तुम।
अब वो प्यार बाकी नही
अब इंतज़ार बाकी नही।
मेरे दिल में तेरे लिए।
अब वो प्यार बाकी नही।
वो प्यार बाकी नही।
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